- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पिछले कुछ समय से अडानी मुद्दे पर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार घेरते हुए नजर आ रहे हैं। चाहे चुनावी मंच हो, संसद का पटल, या फिर विदेशों का दौरा, राहुल गांधी ने हर मंच पर अडानी को अपना निशाना बनाया है। लेकिन इस बार उनका यह मुद्दा विपक्षी एकता में दरार डालता नजर आ रहा है।
'इंडिया' गठबंधन, जिसे विपक्षी दलों ने मिलकर एनडीए के खिलाफ एकजुट होने के लिए बनाया था, अब बड़े मतभेदों का सामना कर रहा है। संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में, 'इंडिया' के कई प्रमुख घटक दल एक दूसरे से अलग-अलग रुख अपनाते हुए दिखे हैं। इससे यह सवाल उठता है कि क्या विपक्षी एकता अब टूटने के कगार पर है?
इसी बीच, संसद में कांग्रेस ने अडानी मुद्दे पर जोरदार हंगामा किया और कई विपक्षी दलों के साथ मिलकर विरोध जताया, लेकिन तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और समाजवादी पार्टी (एसपी) ने इस मुद्दे पर अलग रुख अपनाया। तृणमूल ने आरोप लगाया कि संसद का सत्र बेरोजगारी, महंगाई और विपक्षी शासित राज्यों को केंद्र से मिलने वाली धन आवंटन में भेदभाव जैसे मुद्दों को उठाने के लिए होना चाहिए, न कि सिर्फ अडानी पर चर्चा करने के लिए।
वहीं, समाजवादी पार्टी ने अडानी से ज्यादा अहम मुद्दा उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुई हिंसा को माना। अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, जबकि स्पीकर ने उन्हें शून्यकाल में बोलने के लिए कहा, जिससे समाजवादी सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। यह साफ था कि समाजवादी पार्टी के लिए अडानी मुद्दा संभल हिंसा के मुकाबले कहीं कमतर था।
इससे यह भी दिखता है कि 'इंडिया' गठबंधन में एकता की खामियां सामने आने लगी हैं, और विपक्षी दल अपने-अपने मुद्दों पर अधिक जोर दे रहे हैं। अब देखना यह होगा कि क्या इस असहमति के बावजूद विपक्षी दल एनडीए के खिलाफ एकजुट हो पाते हैं या नहीं।