- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
बिहार सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए बेतिया राज की 15,358 एकड़ जमीन को मुक्त कराने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। मंगलवार को बिहार विधानमंडल में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा एक विशेष विधेयक पेश किया गया, जो ध्वनि मत से पास हो गया। इस विधेयक के तहत अब भू-माफियाओं और अतिक्रमणकारियों से इन संपत्तियों को सरकार वापस लेगी।
क्या है बेतिया राज की कहानी?
बेतिया राज, जिसकी जमीनें उत्तर प्रदेश और बिहार में फैली हुई हैं, अंग्रेजों के जमाने से ही विवादित रही हैं। अंतिम रानी की संतान न होने के बाद, इन संपत्तियों को ब्रिटिश राज ने 'कोर्ट ऑफ वार्ड्स' के अधीन कर दिया था। लेकिन सालों में भू-माफिया और अतिक्रमणकारी इस पर कब्जा जमाने लगे।
राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने बताया कि यूपी के गोरखपुर, बनारस, इलाहाबाद, कुशीनगर, मिर्जापुर समेत बिहार के कई जिलों में बेतिया राज की जमीनें फैली हुई हैं। इसमें पश्चिमी चंपारण में 6,505 एकड़ (लगभग 66%) और पूर्वी चंपारण में 3,219 एकड़ (लगभग 60%) जमीन पर अवैध कब्जा हो चुका है।
क्या बदलेगा इस विधेयक से?
नया विधेयक पास होने के बाद, जिन लोगों ने इन जमीनों पर कब्जे को लेकर कोर्ट में केस दर्ज किया था, उनके मुकदमे खुद-ब-खुद खत्म हो जाएंगे। इसके अलावा, अब बेतिया राज की संपत्तियों पर कोई नया मामला भी कोर्ट में दर्ज नहीं किया जा सकेगा।
राजस्व मंत्री ने जोर देकर कहा कि सरकार इन जमीनों का उपयोग सार्वजनिक हित के लिए करेगी। खाली कराई गई जमीन पर मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज और अन्य विकासात्मक इमारतें बनाई जाएंगी। यह क्षेत्र विकास के नए युग में प्रवेश करेगा।
रिहायशी क्षेत्रों के लिए राहत का ऐलान
जिन लोगों ने बेतिया राज की जमीन पर रिहायशी बस्तियां बसाई हैं, उनके लिए सरकार ने राहत भरी घोषणा की है। ऐसे लोग अपने दावे समाहर्ता अधिकारी के समक्ष पेश कर सकते हैं, जिसकी प्रक्रिया दो महीने में पूरी कर ली जाएगी।
भविष्य की उम्मीदें
राजस्व पर्षद प्रमुख केके पाठक के नेतृत्व में इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से अंजाम दिया जाएगा। यह विधेयक न केवल अवैध कब्जों को खत्म करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि बिहार में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे को भी मजबूती देगा।
निष्कर्ष:
बेतिया राज की जमीन को भू-माफियाओं और अतिक्रमणकारियों के चंगुल से छुड़ाने की यह पहल बिहार के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब इन जमीनों पर विकास की इमारतें खड़ी होंगी, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए समर्पित होंगी।