- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
प्रियंका गाँधी वाड्रा ने केरला के वायनाड से हुए उपचुनाव में जीत के बाद गुरुवार को लोकसभा में अपने रूप में शपथ ली। 52 साल की प्रियंका ने जैसे ही संसद की कार्यवाही शुरू हुई, हिंदी में अपनी शपथ ली और हाथ में संविधान की कॉपी पकड़ी। यह सच में एक ऐतिहासिक क्षण था, क्यूंकि उनकी माँ सोनिया गाँधी और भाई राहुल गाँधी भी संसद के सदस्य हैं। इस तरह एक ही परिवार के तीन सदस्य एक साथ सांसद बन गए हैं, जो अपने आप में एक अभिलेख है।
जब प्रियंका गाँधी ने अपनी शपथ ली, तो उनके साथ ही नांदेड़ के उपचुनाव में जीतने वाले कांग्रेस के रवींद्र चव्हाण ने भी मराठी में अपनी शपथ ली। उनका जीतने का सफर उनके पिता वसंतराव चव्हाण के निधन के बाद का उपचुनाव था।
प्रियंका ने 2019 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा था और उन्हें कांग्रेस की महासचिव भी बनाया गया था। अब, पांच साल बाद प्रियंका ने वायनाड से अपनी पहली चुनावी जीत के अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआती की। उन्होंने 4.1 लाख से ज्यादा वोटों से अपने भाई राहुल गाँधी को पीछे छोड़ा। यह उनका सांसद में प्रवेश कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, खासतौर पे जब पार्टी हरयाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में चुनाव में हार गयी थी।
प्रियंका को अक्सर अपनी दादी इंदिरा गाँधी की याद दिलाई जाती है, उनके रूप और बोलने का तरीका भी समान है। प्रियंका सक्रिय राजनीति में आने के बाद से पार्टी की सबसे बड़ी आंदोलन का सदस्य बन गयी हैं और उससे पहले जब उन्होंने अपनी माँ सोनिया और भाई राहुल गाँधी के लिए अभियान किये थे तब भी उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण था। वायनाड के कांग्रेस नेताओं ने बुधवार को प्रियंका को उपचुनाव जीतने का प्रमाणपत्र दिया और उन्हें अपनी शुभकामनाएं भी दिए।
प्रियंका गाँधी ने वायनाड के लोकसभा उपचुनाव में सीपीआई (एम) के नेता सत्येन मोकेरी को 4 लाख से ज्यादा वोटों से हराया। अब देखना यह है कि क्या प्रियंका कांग्रेस को अपने चुनाव जीतने की भावना के साथ इस मुश्किल समय में उत्साहित कर पाएंगी और पार्टी को फिर से राजनीतिक ट्रैक पर ला पायेंगी।