- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
सार्वजनिक जल संचय पर दबंगों का कब्जा, प्रशासन की लापरवाही से जनता में आक्रोश
ग्राम नसरतपुर, थाना संदेश, जिला भोजपुर, 21 मार्च 2025
ग्राम नसरतपुर, थाना एवं अंचल संदेश जिला भोजपुर, थाना-नंबर 187 में-विहार सरकार के जमीन सर्वे-खाता न० 566 , प्लॉट/खेसरा नंo 2035 एवं 2039 रकबा लगभग 50 डिसमिल में सार्वजनिक जल संचय पर दबंगों द्वारा किए जा रहे अवैध कब्जे को लेकर स्थानीय नागरिकों में गहरी नाराजगी है। इस संबंध में प्रभावित नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने दिनांक 06 फरवरी 2025 को प्रशासन को ईमेल और निबंधित डाक के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई थी। बावजूद इसके, अब तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे लोगों में प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर भारी रोष है।
क्या है पूरा मामला?
ग्राम नसरतपुर, थाना एवं अंचल संदेश जिला भोजपुर, थाना-नंबर 187 में-विहार सरकार के जमीन सर्वे-खाता न० 566 , प्लॉट/खेसरा नंo 2035 एवं 2039 रकबा लगभग 50 डिसमिल वर्षों से स्थानीय समुदाय के लिए जल संरक्षण, कृषि, पशुपालन और अन्य उपयोगी कार्यों का मुख्य स्रोत रहा है। हाल ही में कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा इस जल संचय क्षेत्र पर अतिक्रमण कर इसे निजी संपत्ति के रूप में उपयोग करने की कोशिश की जा रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह जल स्रोत न केवल उनकी जीवनरेखा है बल्कि इससे आसपास के किसानों, पशुपालकों और जल संरक्षण के प्रयासों को भी बल मिलता है।
शिकायत के बावजूद प्रशासन मौन
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा इस अतिक्रमण के खिलाफ आवाज उठाई गई थी। 06 फरवरी 2025 को जिला प्रशासन को ईमेल और निबंधित डाक के माध्यम से इस समस्या की जानकारी दी गई थी। इसके बावजूद, प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि प्रशासन की यह चुप्पी यह दर्शाती है कि वह सार्वजनिक जल स्रोतों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है।
जनता में आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी
प्रशासन की निष्क्रियता से नाराज स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने अब आंदोलन की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि यदि शीघ्र ही कब्जा हटाने और जल स्रोत की सुरक्षा के लिए कदम नहीं उठाए गए, तो वे सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे और न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाने को मजबूर होंगे।
विशेषज्ञों की राय
पर्यावरणविदों और जल संरक्षण विशेषज्ञों का कहना है कि सार्वजनिक जल स्रोतों पर कब्जा न केवल कानूनी अपराध है बल्कि यह जल संकट को भी बढ़ावा देता है। अगर प्रशासन समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं करता, तो आने वाले समय में जल संरक्षण की बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।
क्या कहता है कानून?
भारतीय कानून के तहत किसी भी सार्वजनिक जल स्रोत पर अवैध कब्जा करना गैरकानूनी है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 441, 447 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा, राज्य भू-राजस्व संहिता और जल संरक्षण कानून के तहत भी प्रशासन को अतिक्रमण हटाने का अधिकार प्राप्त है।
प्रशासन को जल्द कार्रवाई करनी होगी
इस पूरे मामले ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि समय रहते अवैध कब्जा नहीं हटाया गया, तो यह अन्य दबंगों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। जनता की मांग है कि प्रशासन तुरंत हरकत में आए और सार्वजनिक जल संचय की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए।
इस मुद्दे को लेकर जनता की निगाहें अब प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या स्थानीय प्रशासन जनता की आवाज सुनेगा या फिर दबंगों के आगे घुटने टेक देगा? यह आने वाला समय बताएगा।
NEPURA FOUNDATION ने दी चेतावनी, पर्यावरण व सामाजिक मुद्दों पर NGT में जाएगी अपील
पर्यावरण संरक्षण, महिला एवं बाल विकास के लिए काम करने वाले सामाजिक संगठन NEPURA FOUNDATION ने चेतावनी दी है कि यदि उचित कार्रवाई नहीं की गई तो यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाएगा। संगठन ने कहा कि जरूरत पड़ी तो National Green Tribunal (NGT) में अपील दायर कर न्याय की मांग करेगा।
NL9 NEWS की विशेष रिपोर्ट:
सार्वजनिक जल संचय पर दबंगों के अवैध कब्जे को लेकर प्रशासन की लापरवाही अब सवालों के घेरे में है। दिनांक 06 फरवरी 2025 को शिकायत दर्ज कराने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे स्थानीय नागरिकों में भारी आक्रोश है।
NL9 NEWS टीम इस गंभीर मुद्दे पर लगातार नजर बनाए हुए है और जब तक प्रशासन कार्रवाई नहीं करता, तब तक हर दिन इस विषय पर रिपोर्टिंग जारी रहेगी। क्या प्रशासन जागेगा या जनता को अपने अधिकारों के लिए सड़क पर उतरना पड़ेगा? बने रहिए NL9 NEWS के साथ, हम सच के साथ!