- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
यूपी में विधानसभा चुनाव की घेराबंदी तेज हो गई है और कांग्रेस ने अपनी रणनीति को अगले स्तर पर पहुंचाते हुए उपचुनाव में सपा के लिए फायदे की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। पार्टी की नजर अब उन नेताओं पर है, जिनका संबंध बसपा से है, ताकि सामाजिक न्याय के मुद्दे को मजबूती से उठाया जा सके और गठबंधन को और भी पक्का किया जा सके।
कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से यह संकेत दिया है कि वह उपचुनाव में कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी, लेकिन सपा के साथ मिलकर गठबंधन को मजबूत करने का पूरा इरादा है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि यदि बसपा पृष्ठभूमि वाले नेताओं को अपने साथ लाया जाता है, तो इसका सीधा लाभ सपा उम्मीदवारों को मिल सकता है, क्योंकि इसका प्रभाव दलित और अति पिछड़े वर्ग के वोटबैंक पर होगा, जो समाजवादी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इस सिलसिले में पार्टी ने जिलाध्यक्षों को निर्देश दिए हैं कि वे बसपा के उन नेताओं से संपर्क करें जो पार्टी से उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और उन्हें कांग्रेस के खेमे में लाने की कोशिश करें। कांग्रेस नेतृत्व, खासकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, द्वारा लगातार उठाए जा रहे सामाजिक न्याय के मुद्दे को लेकर इन नेताओं को जागरूक किया जाएगा, ताकि वे दलित और पिछड़े वर्ग के लिए कांग्रेस के संघर्ष को समझें और पार्टी से जुड़ने के लिए प्रेरित हों।
उपचुनाव में क्या मिलेगा फायदा?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यदि कांग्रेस इन नेताओं को अपने साथ जोड़ने में सफल रही, तो इसका सीधा फायदा उपचुनाव में सपा के पक्ष में होगा। कांग्रेस भले ही चुनाव में उम्मीदवार न उतारे, लेकिन वह खुले तौर पर सपा के साथ गठबंधन का दावा कर रही है। कांग्रेस का मानना है कि इस गठबंधन से वोटों का बेहतर समन्वय होगा और दलित व पिछड़े वर्ग का एकजुट वोट बैंक सपा को मजबूत करेगा।
संगठन का विस्तार और सपा के समर्थन में मजबूती
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि पार्टी कई नेताओं से संपर्क में है, जो अन्य दलों से जुड़े हुए थे, और उन्हें जल्द ही कांग्रेस की सदस्यता दिलाई जाएगी। उपचुनाव के दौरान ये नेता कांग्रेस के साथ मिलकर कार्य करेंगे और गठबंधन को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
कांग्रेस का कहना है कि वह भाजपा के खिलाफ अपनी लड़ाई को और मजबूत करते हुए सपा उम्मीदवारों की जीत के लिए काम करेगी। इस रणनीति के तहत, कांग्रेस अपने सामाजिक न्याय के एजेंडे को और अधिक सशक्त बनाने में सफल हो सकती है, जिससे गठबंधन की ताकत और भी बढ़ेगी।