- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
पर्यावरणीय उल्लंघन पर NEPURA FOUNDATION की कड़ी प्रतिक्रिया, NGT और हाईकोर्ट जाने की तैयारी
ग्राम नसरतपुर, थाना एवं अंचल संदेश जिला भोजपुर, थाना-नंबर 187 में-बिहार सरकार के जमीन सर्वे-खाता न० 566 , प्लॉट/खेसरा नंo 2035 एवं 2039 रकबा लगभग 50 डिसमिल में सार्वजनिक जल संचय पर दबंगों द्वारा किए जा रहे अवैध कब्जे को लेकर स्थानीय नागरिकों में गहरी नाराजगी है। इस संबंध में प्रभावित नागरिकों और सामाजिक संगठनों के शिकायत दर्ज करने के बावजूद इसपे, अब तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे लोगों में प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर भारी रोष है।
क्या है पूरा मामला?
ग्राम नसरतपुर, थाना संदेश, जिला भोजपुर, थाना-नंबर 187 में-विहार सरकार के जमीन सर्वे-खाता न० 566 , प्लॉट/खेसरा नंo 2035 एवं 2039 रकबा लगभग 50 डिसमिल वर्षों से स्थानीय समुदाय के लिए जल संरक्षण, कृषि, पशुपालन और अन्य उपयोगी कार्यों का मुख्य स्रोत रहा है। हाल ही में कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा इस जल संचय क्षेत्र पर अतिक्रमण कर इसे निजी संपत्ति के रूप में उपयोग करने की कोशिश की जा रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह जल स्रोत न केवल उनकी जीवनरेखा है बल्कि इससे आसपास के किसानों, पशुपालकों और जल संरक्षण के प्रयासों को भी बल मिलता है।
शिकायत के बावजूद प्रशासन मौन
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा इस अतिक्रमण के खिलाफ आवाज उठाई गई थी। जिला प्रशासन को समस्या की जानकारी दी गई थी। इसके बावजूद, प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि प्रशासन की यह चुप्पी यह दर्शाती है कि वह सार्वजनिक जल स्रोतों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है।
क्या कहता है कानून?
भारतीय कानून के तहत किसी भी सार्वजनिक जल स्रोत पर अवैध कब्जा करना गैरकानूनी है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 441, 447 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 एवं जल संरक्षण अधिनिय 1972 के तहत ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा, राज्य भू-राजस्व संहिता और जल संरक्षण कानून के तहत भी प्रशासन को अतिक्रमण हटाने का अधिकार प्राप्त है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में अपील दायर
पर्यावरण संरक्षण, महिला एवं बाल विकास के लिए काम करने वाली सामाजिक संगठन NEPURA FOUNDATION ने पर्यावरणीय उल्लंघन के गंभीर मामले को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। संगठन ने घोषणा की है कि जल्द ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में अपील दायर करेगा। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 और जल संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत कानूनी कार्रवाई पर विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है, जिसमें 5 साल की सजा और 15 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है।
संगठन का आरोप है कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर उदासीन बना हुआ है। इसी को देखते हुए माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका (PIL) दाखिल करने पर भी विचार किया जा रहा है। NEPURA FOUNDATION का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कानूनी कदम उठाए जाएंगे।
NL9 NEWS की विशेष रिपोर्ट:
सार्वजनिक जल संचय पर दबंगों के अवैध कब्जे को लेकर प्रशासन की लापरवाही अब सवालों के घेरे में है। शिकायत दर्ज कराने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे स्थानीय नागरिकों में भारी आक्रोश है।
NL9 NEWS टीम इस गंभीर मुद्दे पर लगातार नजर बनाए हुए है और जब तक प्रशासन कार्रवाई नहीं करता, तब तक हर दिन इस विषय पर रिपोर्टिंग जारी रहेगी। क्या प्रशासन जागेगा या जनता को अपने अधिकारों के लिए सड़क पर उतरना पड़ेगा? बने रहिए NL9 NEWS के साथ, हम सच के साथ!